"जब सय्यदा फ़ातिमा ज़हरा [स.अ.] पैग़म्बर ए अकरम [स.अ.] के पास तशरीफ़ लाती थीं, तो आप उनके एहतिराम में खड़े हो जाते थे और शौक़ व रग़बत के साथ, आपकी तरफ़ तशरीफ़ लाते थे।
यह इस तरह नहीं था कि आप; पैग़म्बर [स.अ.] के कमरे में तशरीफ़ लाएं और पैग़म्बर [स.अ.] थोड़ा सा एहतरामन खड़े हो जाते हों.. नहीं! ऐसा नहीं होता था।... बल्कि लिखा हुआ है कि आप मुकम्मल तौर पर खड़े हो जाते और उनकी तरफ़ जाते थे, उनका हाथ थामते थे और उनको लाकर अपनी जगह बिठाते थे।
यह हज़रत सय्यदा फ़ातिमा [स.अ.] का मक़ाम है! इंसान इस अज़ीम ख़ातून के बारे में क्या लबकुशाई करे? क्या कहे?"
आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनई
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